Friday, February 11, 2011

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समा बदल न जाए

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समा बदल न जाए |
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए |


मेरे अश्क भी है इसमें ये शराब उबल न जाए |
मेरा जाम छूनेवाले तेरा हाथ जल न जाए |


अब ये रात कुछ है बाकी न उठा नकाब साक़ी |
तेरा अश्क गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए |


मेरी जिंदगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रख़ना |
तेरे आने की ख़ुशी में मेरा दम निकल न जाए |


मुझे फूंकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना |
वो किसी की है अमानत कहीं साथ जल न जाए |


ज़माने को छोड़ लोटकर वो मेरे पास फिर से आ गए,
मेरी बुझी दुनिया में फिर उजाला करने के लिए