Tuesday, August 10, 2010

विश्वास

शमां को शमां की बहारों ने लूटा
हमको कश्ती के किनारों ने लूटा
आप तो एक ही कसम से डर गए
हमें तो आपकी कसम देकर हजारों ने लूटा







सपने की तरह आकर चले गए
गमों की नींद सुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी हमको
पहले हंसाया फिर रुलाकर चले गए 











आज उसके प्यार में कुछ कमी देखी
चांद की चांदनी में भी कुछ कमी देखी
उदास होकर लौट आए हम अपने घर
जब महफिल उसकी गैरों से जमी देखी 






 







वो कह गई मेरा इंतजार मत करना,
मैं कहूं तो भी मेरा ऐतबार मत करना,
ये भी कहा कि मुझे प्यार नहीं तुमसे
और ये भी कह गई कि किसी और से प्यार मत करना।

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