Friday, February 11, 2011

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समा बदल न जाए

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समा बदल न जाए |
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए |


मेरे अश्क भी है इसमें ये शराब उबल न जाए |
मेरा जाम छूनेवाले तेरा हाथ जल न जाए |


अब ये रात कुछ है बाकी न उठा नकाब साक़ी |
तेरा अश्क गिरते गिरते कहीं फिर संभल न जाए |


मेरी जिंदगी के मालिक मेरे दिल पे हाथ रख़ना |
तेरे आने की ख़ुशी में मेरा दम निकल न जाए |


मुझे फूंकने से पहले मेरा दिल निकाल लेना |
वो किसी की है अमानत कहीं साथ जल न जाए |


ज़माने को छोड़ लोटकर वो मेरे पास फिर से आ गए,
मेरी बुझी दुनिया में फिर उजाला करने के लिए

Tuesday, January 11, 2011

क्या पाया, क्या खो देंगे

  हम गमों की रात 
खयालों में काट देते हैं
मिले जो दिन 

उजालों में बांट देते हैं
हम दर्द-ए-दिल को 

बहुत अजीज रखते हैं
मिले जो खुशी 
जमाने में बांट देते हैं
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कौन अंदाजा मेरे 
गमों का लगा सकता है
कौन सही राह 

दिखा सकता है
किनारे वालों तुम 

उसका दर्द क्या जानों
डूबने वाला ही 

गहराई बता सकता है 
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कांटों पर चलकर 
फूल मिलते हैं
विश्वास पर चलकर 

प्यार मिलते है
एक बात याद रखना गालिब
खुशियों में तो सब मिलते हैं
   लेकिन गम में सिर्फ हम मिलते हैं 



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गुस्ताखी ये है 
हमारी
हर किसी से रिश्ता 

जोड़ लेते हैं
लोग कहते हैं 

मेरा दिल पत्थर का है 
लेकिन
कुछ लोग ऐसे भी हैं 

जो इसे भी तोड़ देते हैं 
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रिश्तों में 
पत्थरों की कमी नहीं है
दिल में टूटे हुए 

सपनों की कमी नहीं है
हम चाहते हैं 

उनको अपना बनाना
पर उनके पास 

अपनों की कमी नहीं है 


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उन पर खत्म 
सारी चाहत होगी
फिर ना किसी पर 

ये इनायत होगी
कुछ इस तरह से करेंगे याद उन्हें
न उन्हें खबर होगी, 

न जमाने को शिकायत होगी। 

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उल्फत में अक्सर ऐसा होता है
आंखें हंसती हैं 

और दिल रोता है
मानते हैं हम जिन्हें 

मंजिल अपनी
हमसफर उनका 

कोई और होता है।

Wednesday, August 11, 2010

नशा

उसने हाथों से छूकर पानी को गुलाबी कर दिया
हमारी बात तो कुछ और थी यारों
उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया

दिल के दरिया में उतर कर देखो
मोहब्बत हमसे करके देखो
प्यार क्या होता है
जरा मेरी बाहों में उतर कर देखो
दुनिया लगेगी जन्नत 

इसको मेरी नजर से देखो

लम्हें

मुलाकात भी कभी आंसू दे जाती है
नजरें भी कभी धोखा दे जाती हैं
गुजरे हुए लम्हों को याद करके देखिए
तन्हाई भी कभी सुकून दे जाती है

















मिलने की खुशी, बिछड़ने का गम
दूर रहकर भी तुम्हारे करीब है हम
यकीं न हो तो अपने दिल से पूछ लो
कल भी वही थे और आज भी वही हैं हम

हमें गर्व है


इतना दर्द हो कि मुक्कदर जबाव दे
कतरा करे सवाल समुन्दर जबाव दे
मुल्क में हमारे हो इतनी एकता
मज्जिद से हो सवाल तो


मंदिर जबाव दे

Tuesday, August 10, 2010

विश्वास

शमां को शमां की बहारों ने लूटा
हमको कश्ती के किनारों ने लूटा
आप तो एक ही कसम से डर गए
हमें तो आपकी कसम देकर हजारों ने लूटा







सपने की तरह आकर चले गए
गमों की नींद सुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी हमको
पहले हंसाया फिर रुलाकर चले गए 











आज उसके प्यार में कुछ कमी देखी
चांद की चांदनी में भी कुछ कमी देखी
उदास होकर लौट आए हम अपने घर
जब महफिल उसकी गैरों से जमी देखी 






 







वो कह गई मेरा इंतजार मत करना,
मैं कहूं तो भी मेरा ऐतबार मत करना,
ये भी कहा कि मुझे प्यार नहीं तुमसे
और ये भी कह गई कि किसी और से प्यार मत करना।