Wednesday, August 11, 2010

नशा

उसने हाथों से छूकर पानी को गुलाबी कर दिया
हमारी बात तो कुछ और थी यारों
उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया

दिल के दरिया में उतर कर देखो
मोहब्बत हमसे करके देखो
प्यार क्या होता है
जरा मेरी बाहों में उतर कर देखो
दुनिया लगेगी जन्नत 

इसको मेरी नजर से देखो

लम्हें

मुलाकात भी कभी आंसू दे जाती है
नजरें भी कभी धोखा दे जाती हैं
गुजरे हुए लम्हों को याद करके देखिए
तन्हाई भी कभी सुकून दे जाती है

















मिलने की खुशी, बिछड़ने का गम
दूर रहकर भी तुम्हारे करीब है हम
यकीं न हो तो अपने दिल से पूछ लो
कल भी वही थे और आज भी वही हैं हम

हमें गर्व है


इतना दर्द हो कि मुक्कदर जबाव दे
कतरा करे सवाल समुन्दर जबाव दे
मुल्क में हमारे हो इतनी एकता
मज्जिद से हो सवाल तो


मंदिर जबाव दे

Tuesday, August 10, 2010

विश्वास

शमां को शमां की बहारों ने लूटा
हमको कश्ती के किनारों ने लूटा
आप तो एक ही कसम से डर गए
हमें तो आपकी कसम देकर हजारों ने लूटा







सपने की तरह आकर चले गए
गमों की नींद सुलाकर चले गए
किस भूल की सजा दी हमको
पहले हंसाया फिर रुलाकर चले गए 











आज उसके प्यार में कुछ कमी देखी
चांद की चांदनी में भी कुछ कमी देखी
उदास होकर लौट आए हम अपने घर
जब महफिल उसकी गैरों से जमी देखी 






 







वो कह गई मेरा इंतजार मत करना,
मैं कहूं तो भी मेरा ऐतबार मत करना,
ये भी कहा कि मुझे प्यार नहीं तुमसे
और ये भी कह गई कि किसी और से प्यार मत करना।